पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, जिसे उत्तर प्रदेश के विकास का प्रमुख प्रतीक बताया गया है, अब एक राजनीतिक टकराव का मैदान बन गया है। उद्घाटन से एक दिन पहले, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर गुणवत्ता से समझौता करने और लागत कम करने के लिए घटिया निर्माण कराने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का शिलान्यास सपा सरकार में ही 2016 में हुआ था।
🔁 बीजेपी का पलटवार: “एक दिन कहेंगे राम मंदिर भी सपा ने बनवाया”
भाजपा ने सपा प्रमुख के दावों को “झूठा प्रचार” बताया और कटाक्ष करते हुए कहा:
“जिस हिसाब से अखिलेश यादव कागजी एक्सप्रेसवे का ढोल पीट रहे हैं, उनका अगला ट्वीट होगा कि राम मंदिर भी समाजवादी सरकार ने ही बनवाया।”
यह बयान भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आया और साफ तौर पर श्रेय लेने की राजनीति पर निशाना था।
🧾 सपा की दलील: हम थे योजना के असली शिल्पकार
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर एक तस्वीर साझा की जिसमें 22 दिसंबर 2016 को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के शिलान्यास कार्यक्रम को दर्शाया गया।
उन्होंने लिखा:
“जिसने पूर्वांचल के आधुनिक भविष्य का नक्शा खींचा वो बीता कल हमारा था, और ‘नव उत्तर प्रदेश’ का लक्ष्य लेकर चल रहा कल भी हमारा होगा।”
उन्होंने ये भी जोड़ा कि “यूपी का विकास होगा, बाइस (2022) में बदलाव होगा।”
🧱 बीजेपी की जवाबी दलीलें:
भाजपा प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा:
- 2017 में जनता ने अखिलेश सरकार को खारिज कर दिया।
- जिस आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का भी वो जिक्र करते हैं, वो अधूरा था।
- योगी सरकार ने उसमें ₹1,000 करोड़ का अतिरिक्त निवेश कर उसे पूर्ण रूप से चालू किया।
उन्होंने यह भी कहा:
“जब भी योगी सरकार कोई काम करती है, सपा उसे अपना बताने लगती है। ये हीन भावना का संकेत है।”
📊 पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की संक्षिप्त जानकारी:
बिंदु | विवरण |
---|---|
लंबाई | 341 किलोमीटर |
लागत | ₹22,500 करोड़ |
निर्माण काल | अक्टूबर 2018 – सितंबर 2021 |
उद्घाटन | 16 नवंबर 2021 (PM मोदी द्वारा, सुलतानपुर) |
योजना की शुरुआत | दिसंबर 2016 (सपा शासनकाल) |
📌 राजनीतिक निहितार्थ:
- सपा और भाजपा दोनों ही विकास योजनाओं का श्रेय लेने की होड़ में हैं।
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे चुनावों से पहले एक प्रमुख प्रचार उपकरण बन गया है।
- भाजपा जहां तेजी से क्रियान्वयन का दावा कर रही है, वहीं सपा नींव रखने वाली पार्टी के रूप में श्रेय चाहती है।
🔍 निष्कर्ष:
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश के लिए वास्तविक बुनियादी विकास का प्रतीक है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच यह श्रेय की जंग बनकर रह गया है।
वास्तव में, निर्माण और विकास में सभी सरकारों का योगदान हो सकता है, लेकिन जनता सिर्फ परिणाम देखती है – सड़क बनी या नहीं, सुविधा मिली या नहीं।
🙏 अब देखने वाली बात यह होगी कि 2027 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल की जनता इस एक्सप्रेसवे का राजनीतिक इनाम किसे देती है।