पूर्वांचल एक्सप्रेसवे धंसा, कांग्रेस का तंज: “रेवड़ी बांटने का नतीजा”

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Via:indiatv.in
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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हाल ही में बने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा भारी बारिश के चलते धंस गया। ये घटना हलियापुर थाना क्षेत्र में हुई, जहां एक कार 15 फीट गहरे गड्ढे में जा फंसी। हादसे में चार लोग घायल हो गए, जिन्हें तुरंत कुमारगंज अस्पताल भेजा गया।


⚠️ रात में ही शुरू हो गया रिपेयर वर्क

  • जैसे ही सूचना मिली, यूपीडा (UPEIDA) की टीम ने डायवर्जन सेट कर दिया और रात में ही मरम्मत का कार्य शुरू हो गया।
  • सुबह तक अधिकांश काम पूरा कर लिया गया
  • ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया ताकि दुर्घटनाएं न हों।
  • जहां-जहां सड़क में दरारें या क्षति हुई, वहां मरम्मत जारी है

🧑‍⚕️ घायल यात्रियों की स्थिति:

  • चार घायल यात्री, जिनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
  • उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

🏛️ कांग्रेस का तीखा हमला:

🗣️ कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर पर तंज कसते हुए कहा:

यूपी का ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’ धंस गया। हजारों करोड़ खर्च हुए, लेकिन बारिश न झेल पाया। एक कार 15 फुट गहरे गड्ढे में जा गिरी। यूपी चुनाव से ठीक पहले मोदी जी ने अधूरे एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था। अब नतीजा सबके सामने है। मोदी जी, किस-किस को रेवड़ी बांटी?

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🛣️ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की जानकारी:

  • लंबाई: लगभग 340 किलोमीटर
  • शुरुआत: लखनऊ से
  • अंत: गाजीपुर तक
  • उद्घाटन: 16 नवंबर 2021, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा
  • निर्माण लागत: हजारों करोड़ रुपये
  • यह यूपी की सबसे लंबी और महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं में से एक है।

सवाल उठते हैं:

  1. क्या निर्माण में गुणवत्ता से समझौता हुआ?
  2. क्या यह महज प्राकृतिक आपदा थी या तकनीकी लापरवाही?
  3. यदि उद्घाटन चुनाव से ठीक पहले हुआ, तो क्या परियोजना पूरा हुए बिना ही चालू कर दी गई?

🏗️ यूपीडा का बचाव:

  • यूपीडा ने कहा कि जल्द से जल्द मरम्मत की जा रही है
  • सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था सुधारी गई है
  • जांच चल रही है कि धंसाव किस वजह से हुआ — तकनीकी, निर्माण दोष या सिर्फ मौसम?

🔍 निष्कर्ष:

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाएं उत्तर प्रदेश की विकास की रीढ़ मानी जाती हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं प्रशासन, निर्माण एजेंसियों और शासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
साथ ही, यह राजनीतिक तकरार और आरोप-प्रत्यारोप का कारण भी बनता है — खासकर चुनावी माहौल में।


📌 निगाह अब इस बात पर टिकी है कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या ये मुद्दा भी “रेवड़ी” की बहस में गुम हो जाएगा?

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