टांडाकलां (चंदौली)।
नाग पंचमी के मौके पर चंदौली के टांडाकलां इलाके में हर साल कुछ ऐसा होता है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां के विशुपुर और महुआरी खास गांव में सिर फोड़ने की एक खतरनाक परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा में गांवों के लोग एक-दूसरे पर ईंट, कंकड़ और पत्थर बरसाते हैं… और तब तक नहीं रुकते, जब तक किसी के सिर से खून न निकल आए।
अब इस खतरनाक और खून से सनी परंपरा को पुलिस रोकने की तैयारी में जुट गई है। बलुआ थाना प्रभारी डॉ. आशीष मिश्रा ने सोमवार को दोनों गांवों के संभ्रांत नागरिकों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में लोगों से अपील की गई कि इस हिंसात्मक रिवाज को अब खत्म किया जाए, ताकि किसी की जान पर बन न आए।
क्या है ये परंपरा?
नाग पंचमी के दिन सुबह महिलाएं और युवतियां पूजा करती हैं, लेकिन शाम होते-होते माहौल पूरी तरह बदल जाता है। शाम चार बजे के बाद दोनों गांवों के लोग गांव के बीच स्थित नाले पर जमा होते हैं।
सबसे पहले, महिलाएं एक-दूसरे को अपशब्द कहती हैं, और इसके बाद शुरू होता है पत्थरों की बारिश! लोग एक-दूसरे पर पत्थर और कंकड़ फेंकते हैं, और यह तब तक चलता है जब तक सिर से खून नहीं बहने लगता।
पुलिस की सख्ती
पुलिस को इस परंपरा के बारे में पहले से जानकारी थी, लेकिन इस बार अधिकारियों ने इसे रोकने की ठान ली है। डॉ. मिश्रा ने दोनों गांव के लोगों से साफ कहा कि यह परंपरा अब बहुत खतरनाक हो चुकी है और इससे कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन की कोशिश है कि लोगों को समझाकर इस परंपरा को रोका जाए, ताकि किसी को गंभीर चोट या जान का खतरा न हो।
क्या खत्म होगी सदियों पुरानी ये परंपरा?
अब देखना होगा कि पुलिस की पहल रंग लाती है या नहीं। क्या गांव वाले मानेंगे और इस खून से सनी परंपरा को अलविदा कहेंगे? या फिर एक बार फिर नाग पंचमी पर चंदौली की धरती खून से रंगी नजर आएगी?
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